Sonia Jadhav

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हम तुम- भाग 6

भाग 6
शाम को घर जाते वक़्त अदिति और आदित्य दोनों खामोश थे। दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था कि इस बारे में क्या बात करें। ऑफिस से बस स्टॉप तक का रास्ता भीड़ से भरा था, चारों तरफ लोगों की आवाजाही। प्यार की बातें ऐसे रास्ते में करना लगभग नामुमकिन सा ही था। अदिति ने सोच रखा था जब तक आदित्य इस बारे में कुछ पूछेगा नहीं, वो अपनी तरफ से कुछ नहीं कहेगी। अदिति के हिसाब से पहल आदित्य को ही करनी होगी। प्यार की राह अब इतनी भी आसान नहीं कि एक खत में निपट जाए।

आदित्य को लगा था कि शायद अदिति खुद से बात शुरू करेगी लेकिन अदिति ने कुछ कहा नहीं।
अदिति चाहती थी कि आदित्य पहल करे और आदित्य चाहता था कि अदिति पहल करे।

आज बस में बहुत भीड़ थी, अदिति को बड़ी मुश्किल से सीट मिली थी। दिल्ली की भीड़ भरी बसों में भी गन्दी मानसिकता के लोग भीड़ का फायदा उठाकर लड़कियों से छेड़छाड़ करने की कोशिश करते हैं। यह बात आदित्य को अच्छी तरह मालूम थी। वो अदिति के आगे कवच बनकर खड़ा हो गया था, बॉडीगार्ड की तरह ताकि किसी के गंदे हाथ उसकी अदिति को छू ना सके।

अदिति को आदित्य का यूँ उसकी परवाह करना बहुत अच्छा लग रहा था। वो उसके चेहरे पर बिखरी हुई प्यार की बूंदों को महसूस कर रही थी और उसकी तरफ बार-बार देख रही थी। आदित्य का यह पूछना….. तुम ठीक हो ना? उससे कितना कुछ कह रहा था। आज वो आदित्य के साथ खुद को सुरक्षित महसूस कर रही थी। कितना बदलाव आ चुका था आदित्य में, जहाँ वो उससे सीधे मुँह बात भी करना पसंद नहीं करता था, वहीँ वो आज उसकी इतनी परवाह कर रहा था।

इससे पहले आदित्य ने कभी अदिति के बारे में इतनी फिक नहीं की थी। सब कुछ नया था और दोनों के दिल के भीतर भी बहुत कुछ अनकहा था।

अदिति ने अपना बस स्टॉप आने पर अपनी सीट आदित्य को दे दी, उसकी आँखों में देखकर थैंक यू कहा और बस से उतर गई। आदित्य के होंठों पर मुस्कुराहट थी यह सोचकर कि अदिति ने अभी तक अपनी नाराज़गी जाहिर नहीं की है उस लैटर को लेकर, इसका मतलब उसके दिल में भी कुछ है उसे लेकर , बस वो अभी कहना नहीं चाहती है।

आदित्य अदिति की चुप्पी से भी खुश था। आजकल वो अकारण ही मुस्कुराता था और यह बात उसकी मम्मी से भी छिपी नहीं थी। बस उसकी मम्मी ने उसके दिल को टटोलने के लिए कहा कि उसका और उसके बड़े भाई आकाश का रिश्ता एक ही घर में करने की सोच रही हैं। दो बहनों के लिए दो भाई और रिश्ता पक्का।

आदित्य अपनी मम्मी की यह बात सुनकर एकदम सकपका गया और बोला ...मम्मी मैं तो लव मैरिज करूँगा। आप मेरी फ़िक्र मत करो, बस भाई के लिए लड़की ढूंढो।
आदित्य के पापा ने यह बात सुन ली और उससे उसकी पसन्द के बारे में पूछने लगे। आदित्य ने भी भावनाओं में बहकर अदिति के बारे में बता दिया।

आदित्य के पापा ने साफ़-साफ़ कह दिया कि वो ब्राह्मणों के अलावा किसी और जाति में रिश्ता नहीं करेंगे और उसे खूब खरी खोटी सुनायी।
आदित्य समझ चुका था अगर उसने अदिति से शादी की भविष्य में तो उसे अपना घर छोड़ना पड़ेगा।

अभी तक तो प्यार का इज़हार भी ठीक से नहीं हुआ था, पापा ने शादी की बात कहकर किस मुश्किल में डाल दिया। प्यार की गाड़ी पटरी पर चलना शुरू भी नहीं हुई थी कि पहले ही गाड़ी का इंजन खराब हो गया।
अपने मम्मी-पापा के सख़्त रवैये से वो हिल गया था। 

अदिति एक ऐसी लड़की थी जिसके साथ वो टाइमपास करने वाला रिश्ता नहीं रख सकता था। वो बहुत ही सीधी लड़की थी, उसे वो धोखा नहीं देना चाहता था। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने माता पिता के खिलाफ जाए।

दर्द के मारे उसका सिर फटने लगा था। युवा उम्र के यह पहले आंसू थे जो अदिति के लिए बहे थे। अगले दिन सुबह उठा तो आदित्य को हल्का बुखार था। लेकिन वो फिर भी ऑफिस गया। आज ना अदिति को उसने प्यार से देखा और न ही ठीक से बात ही की।

अदिति को समझ नहीं आ रहा था आदित्य का यह अजनबियों वाला व्यवहार। उस दिन वो जल्दी छुट्टी लेकर घर चला गया था तेज़ बुखार के कारण। वैसे एक कारण यह भी था कि वो अदिति से नजरें नहीं मिला पा रहा था। कहाँ एक दिन पहले उसने अपने प्यार का इज़हार किया था और कहाँ वो उसे सब कुछ भूलने के लिए कहने वाला था।

बुखार आदित्य को चढ़ा था लेकिन उसके ताप से वो जल रही थी। आदित्य का इस तरह उसे नजरअंदाज करना परेशान कर रहा था।

वो आदित्य से बात करना चाहती थी लेकिन उसने तो घर जाकर अपना फोन ही बंद कर दिया था। अदिति को गुस्सा आ रहा था अपनी बेचैनी पर, आदित्य की बेरुखी पर और उसके दिए लव लैटर पर। दिल तो चाह रहा था कि वो लव लैटर फाड़ कर फैंक दे लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रही थी।

आदित्य दवाई खाकर सो गया था। उठने के बाद फोन ऑन करके देखा तो अदिति की मिस कॉल थी। आदित्य ने चाहकर भी अदिति को फोन करना मुनासिब नहीं समझा। उसे अदिति से दूर होने का एक ही रास्ता नजऱ आ रहा था यह नौकरी छोड़ देना। यह बात आदित्य को अच्छी तरह मालूम थी जब तक वो वहां काम करता रहेगा, वो अदिति को भूल नहीं पायेगा। उसने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया था।

अगले दिन ऑफिस गया तो अदिति नहीं आयी थी। उसने सर से झूठ-झूठ कहा कि उसकी नौकरी कहीं और लग गयी है। एक हफ्ते बाद उसे नया ऑफिस ज्वाइन करना है, तब तक वो यहाँ के सारे पेंडिंग काम निपटा देगा। सर ने उसे बहुत रोकने की कोशिश की लेकिन वो नहीं माना।

अगले दिन आदित्य ऑफिस देर से आया था। सर के ऑफिस में होने के कारण दोनों में ज़्यादा बातचीत नही हो पायी। बातचीत तो पहले भी बहुत ज़्यादा नहीं होती थी, लेकिन आदित्य का उसे प्यार से देखना उसे कुछ अलग सा महसूस करवाता था।

आज वो उससे नजरें चुरा रहा था, उसके चेहरे पर गम्भीरता थी और आँखों में नमी।

सर के जाते ही आदित्य ने अदिति को कह दिया कि वो यह ऑफिस छोड़कर जा रहा है, उसकी कहीं और जॉब लग गयी है और वो लैटर में लिखी सब बातें भूल जाए। आदित्य ने अपने माता पिता के साथ हुई सब बातें अदिति को बता दीं।

अदिति की आँखें गुस्से से धधक रही थीं…….लगता है तुमने सब भुला दिया है?

जिस तरह से उसने आदित्य को देखा था, आदित्य दो पल के लिए सहम गया था। अदिति ने वो लैटर आदित्य की आँखों के सामने फाड़ कर कूड़े के डिब्बे में फैंक दिया था। आदित्य के आँखों में आंसू थे तो अदिति की आंखें भी बरस रहीं थी। वाशरूम से जब अदिति आयी तो उसकी आंखें लाल थीं। अदिति आज तबियत खराब का बहाना बनाकर घर जल्दी निकल गयी थी।

आदित्य को अपने किए पर बहुत शर्म महसूस हो रही थी। लेकिन फिर उसने अपने आपको यह सोचकर समझा लिया कि जिस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं , उसे आगे ले कर जाने में कोई समझदारी नहीं है। आगे जाकर रोने से तो अच्छा है, दोनों अभी रो ले।

यह भी कैसा प्यार था जहाँ प्यार होने से पहले ही ब्रेकअप हो गया था।

❤ सोनिया जाधव

 #लेखनी उपन्यास प्रतियोगिता

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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jan-2022 05:58 PM

बहुत खूबसूरत

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Shivlal sager

10-Jan-2022 12:01 PM

Nice

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Nisha Tewatiya

10-Jan-2022 10:37 AM

good

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